रक्षा बंधन 2018 पर निबंध | Essay on Rakhsha Bandhan(Rakhi) 2018
रक्षाबंधन / Raksha Bandhan का त्यौहार भारत देश में हिन्दू धर्म में एक बहुत बड़ा त्योहार है यह त्यौहार / Festival भाई बहन के प्रेम के प्रतिक का त्यौहार है वैसे तो भारत देश में अनेक त्यौहार मनाये जाते है सबका अपना अपना महत्व है इन त्योहारो में रक्षाबंधन का विशेष महत्व है क्यूकी इस दिन हर भाई अपने बहन की रक्षा का प्रण लेता है और हर बहन जीवन भर अपनी भाई के ख़ुशी और दीर्घायु होने की कामना करती है जिस कारण रक्षाबंधन / Raksha Bandhan के त्योहार को भाई बहन के प्यार का त्योहार भी कहा जाता है
रक्षा बंधन 2018 पर निबंध | Essay on Rakhsha Bandhan(Rakhi) 2018 in Hindi
Raksha Bandhan 2018 Essay – Brother Sister’s Relationship Festival in Hindi
रक्षाबंधन / RakshaBandhan के त्योहार को भाई बहन का त्योहार भी कहा जाता है चूकी इस दिन हर बहन अपनी भाई के कलाई पर रक्षा बाधती है और इसलिए इसे राखी का त्योहार भी कहा जाता है इस दिन भाई अपने बहन की रक्षा का प्रण तो लेते ही है साथ राखी बाधे जाने के बाद अपनी प्यारी बहनों को उपहार स्वरुप कुछ न कुछ जरुर भेट करते है जिससे बहने खुश होती है और फिर भाई बहन का प्यार भी इस त्यौहार के साथ बढ़ जाता है क्यूकी इस दिन भाई चाहे कितनी दूर ही क्यू न हो अपने अपने बहन के पास राखी बधवाने जरुर आता है और अगर भाई नही आ पाता है तो बहने भी अपनी भाई के पास राखी बाधने जाती है जिससे इस त्योहार की महत्ता और बढ जाती है
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है
Raksha Bandhan Kyo Manaya Jata hai
हर त्योहारों को मनाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक, ऐतिहासिक या पौराणिक कारण जरूर होते है ठीक वैसे ही रक्षाबंधन / Raksha Bandhan मनाने के पीछे कई कहानिया प्रचलित है और कई सारे मान्यताये है आइये जानते है रक्षाबंधन / Raksha Bandhan क्यू मनाया जाता है
रक्षाबंधन मनाने के ऐतिहासिक महत्व एंव कारण
अक्सर जब प्राचीन काल में जब रण सेनाये अपने दुश्मन का मुकाबला करने जाते थे तो उस राज्य की स्त्रिया अपने सैनिको का हौसला बढ़ाने के लिए सैनिको के माथे चन्दन टिका कुमकुम लगाकर उन्हें सुशोभित करती थी और हाथ रक्षा सूत्र बाधकर राज्य और आन बान शान की रक्षा का वचन लेती थी और यही रक्षा सूत्र के साथ उन्हें विश्वास होता था की उनके सैनिक विजय होकर वापस आयेगे जिस कारण इस त्योहार का परम्परा का प्रचलन हुआ
इतिहासकारों के अनुसार मेवाड़ पर जब अचानक से बहादुरशाह ने हमला कर दिया तो वहा की रानी कर्मावती इतनी विशाल सेना से लड़ने में असमर्थ थी तो अपनी राज्य की रक्षा के लिए मुगल बादशाह हुमायु को रक्षा सूत्र भेजा और पत्र लिखकर भेजा जिसमे लिखा गया था “एक बहन की आन बान शान पर दुश्मनों ने हमला कर दिया है हम अपने आप को आपका मुहबोली बहन मानते है इसलिए आप यह रक्षासूत्र स्वीकार कीजिये और एक भाई होने के नाते हमारे राज्य की रक्षा कीजिये”
यह पत्र पाते ही हुमायु ने मेवाड़ की रक्षा के लिए अपनी विशाल सेना भेज दिया और इस प्रकार हुमायु बहादुरशाह से लड़ते हुए रानी कर्मावती और उनके राज्य की रक्षा किया जिसके चलते आगे चलकर यह बहन की रक्षा के लिए भाई बहन के प्रेम के प्रतिक को इसे त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा
एक प्रंसंग के अनुसार जब सिकन्दर विश्व विजयी की कामना को लेकर निकला था तो उसे भारत की सीमाओ पर राजा पुरु से सामना करना पड़ा पहली बार किसी राजा ने सिकन्दर को इतनी बड़ी टक्कर दी थी लेकिन सिकन्दर की पत्नी राजा पुरु के पौरस को देखते ही डर गयी थी जिसके कारण वह अपने पति सिकन्दर के प्राणों की रक्षा के लिए राजा पुरु के पास राखी भिजवाया था जब राजा पुरु सिकन्दर से युद्ध करते हुए बंदी बना लिए गये थे तब सिकन्दर ने राजा पुरु को मौत की सजा सुना दिया लेकिन सिकन्दर की पत्नी के बताया की वह राजा पुरु को आपके प्राणों की रक्षा के लिए भाई बना लिया है तब सिकन्दर ने राजा पुरु को ससम्मान मुक्त कर दिया और वही से वह उस राज्य को छोडकर वापस लौट गया.
रक्षाबंधन मनाने के पौराणिक महत्व एंव कारण
राखी का त्योहार कब से शुरू हुआ है इसका कोई लिखित प्रमाण नही है लेकिन इस त्योहार का वर्णन हिन्दू धर्म ग्रंथो में भी मिलता है राजा बली जब अपने सभी यज्ञो को पूरा कर लिया तो अपने तपस्या के दम पर स्वर्ग का राज्य भी पाना चाहा तब देवताओ के राजा इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना किये तब भगवान ने वामन अवतार लेकर राजा बली से तीनो लोक मांग लिए इस प्रकार बली ने भी वामन को अपने साथ रहने का वचन ले लिया था जिसके कारण वामन भगवान के रूप में विष्णु जी और राजा बली पाताल लोक चले गये जिससे परेशान होकर लक्ष्मी जी बहत चिंतित हुई फिर राजा बली के पास जाकर उन्हें अपना भाई मानकर राखी बाधा और बदले में भगवान विष्णु को मांग लिया तभी से माता लक्ष्मी और राजा बली के इस कथा के चलते राखी के त्योह
रक्षाबंधन
भारतमें बारहों महीने कोइ न-क्रोई त्योहार मनाया जाता है । हिंदूसमाज़ के चार प्रमुख त्यौहार हैं-' रक्षाबंधन है, 'विजयादशमी', 'दीपावली' और 'होली' । इन सब में रक्षाबंधन प्रमुख त्यौहार हैं । इसकी परंपरा अत्यंत प्राचीन है । प्राय: सभी जाति-वर्ग के
लोग इसे समान रूप से मनाते हैं । रक्षाबंधन श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है । इसे " श्रावणी' भी कहते
हैं । इसका ब्राह्मणों के लिए विशेष महत्त्व है । प्राचीन परंपरा के अनुसार ऋषि-मुनि यज्ञ करते थे । उस समय ऋषि…मुनि संबद्ध देश के राजा को अपनी धार्मिक क्रियाओं के लिए
वचनबद्ध कराते थे । राजा उन्हें रक्षा का वचन देकर आशीर्वाद ग्रहण करते थे । इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं । यह मुख्यत: बहन-भाई का त्योहार है ।
भारत त्यौहारों का देश है और रक्षाबंधन भारत के सबसे प्रमुख त्यौहारों में से एक है| भारत में रक्षाबंधन को मनाने की प्रथा सदियों से चली आयी है और इससे जुड़ी कई पौराणिक कहानियां भी हैं|
आज के इस भागदौड़ भरे माहौल में ये त्यौहार ही हम सबको मिलने का अवसर देते हैं और रक्षाबंधन जैसा त्यौहार भाई और बहन के रिश्ते को और ज्यादा प्रेमपूर्ण और सुहार्दपूर्ण बनाता है|
रक्षाबंधन का त्यौहार श्रावणमास की पूर्णिमा को मनाया जाता है| इस त्यौहार को मनाने के पीछे कई प्रसंग हैं –
1. जब श्री कृष्ण ने शिशुपाल का वध किया तो उनके हाथ में हल्की चोट लग गयी और खून बहने लगा| अर्जुन की पत्नी द्रौपदी श्री कृष्ण की मुंहबोली बहन थीं, जब द्रौपदी ने देखा कि श्री कृष्ण के हाथ से रक्त बह रहा है तो उन्होंने अपनी साड़ी से थोड़ा सा चीर फाड़कर कृष्ण के हाथ पर पट्टी की तरह बांध दिया|
उस दिन श्रावणमास की पूर्णिमा थी| तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा का वचन दिया था| तभी से श्रावणमास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन बनाने की प्रथा चल पड़ी|
2. एक अन्य प्रसंग के अनुसार, राजा बलि ने इंद्रलोक पर आक्रमण करके सभी देवताओं को हरा दिया और इंद्र के सिंघासन पर कब्ज़ा कर लिया| तब इंद्रदेव की पत्नी ने भगवान् विष्णु की प्रार्थना की| भगवान विष्णु बौना वामन का अवतार लेकर राजा बलि के पास गए| राजा बलि संसार के सबसे बड़े दानी माने जाते थे| बौना बामन के रूप में भगवान विष्णु ने बलि से तीन पग भूमि देने का वचन लिया| बौना बामन ने तीन पगों में ही धरती, आकाश और पाताल को नाप लिया| इसके बाद बौना बामन ने राजा बलि के सर पर पैर रखकर उन्हें रसातल में भेज दिया| रसातल में बलि ने भगवान विष्णु की कठोर उपासना की और विष्णु जी से वचन लिया कि वह सदैव उनके साथ ही रहें| इस वचन से माता लक्ष्मी परेशान हो गयीं क्यूंकि विष्णु जी आप सदैव बलि के साथ रहने लगे थे| तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि की कलाई पर एक रक्षा सूत्र बांधा और उनसे एक उपहार माँगा| माँ लक्ष्मी ने उपहार में राजा बलि से भगवान् विष्णु को मांग लिया| यह श्रावण मास की पूर्णिमा का ही दिन था तब से रक्षाबंधन मनाने की प्रथा आरम्भ हो गयी|
इस तरह के कुछ अन्य प्रसंग और मान्यताएं भी हैं|
कैसे मनाते हैं रक्षाबंधन –
रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और बदले में भाई उनको कोई अच्छा सा उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं|
जिन बहनों की शादी हो चुकी होती है वह अपने भाइयों को राखी बांधने अपने मायके आती हैं| कई बार खुद भाई भी अपनी बहनों से मिलने उनके ससुराल चले जाते हैं और जिन बहनों की शादी नहीं हुई है वह तो अपने भाई के साथ घर पर ही होती हैं और कई दिन पहले से रक्षाबंधन के लिए अच्छी सी राखी ढूंढना शुरू कर देती हैं| भाई भी अपनी बहनों के लिए अच्छे गिफ्ट और उपहारों की तलाश में लग जाते हैं|
इन दिनों मार्किट में काफी चहल पहल बढ़ जाती है, चारों ओर रंग बिरंगी राखी से सजी दुकानें और उपहारों से सजे स्टोर बेहद सुन्दर लगते हैं|
रक्षा बंधन
'रक्षा बंधन' हिन्दुओं का प्रसिद्द त्यौहार है। इसे 'राखी' का त्यौहार भी कहते हैं। यह हिन्दू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह सम्पूर्ण भारतवर्ष में अत्यंत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।
राखी का त्योहार कब से शुरू हुआ है इसका कोई लिखित प्रमाण नही है लेकिन इस त्योहार का वर्णन हिन्दू धर्म ग्रंथो में भी मिलता है राजा बली जब अपने सभी यज्ञो को पूरा कर लिया तो अपने तपस्या के दम पर स्वर्ग का राज्य भी पाना चाहा तब देवताओ के राजा इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना किये तब भगवान ने वामन अवतार लेकर राजा बली से तीनो लोक मांग लिए इस प्रकार बली ने भी वामन को अपने साथ रहने का वचन ले लिया था जिसके कारण वामन भगवान के रूप में विष्णु जी और राजा बली पाताल लोक चले गये जिससे परेशान होकर लक्ष्मी जी बहत चिंतित हुई फिर राजा बली के पास जाकर उन्हें अपना भाई मानकर राखी बाधा और बदले में भगवान विष्णु को मांग लिया तभी से माता लक्ष्मी और राजा बली के इस कथा के चलते राखी के त्योहार का प्रचलन माना जाने लगा
रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं बल्कि हमारी परंपराओं का प्रतीक है। हमारे देश में इसका बड़ा महत्त्व है। रक्षा बंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं एवं भाइयों के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करती हैं। भाई इस अवसर पर अपनी बहन को उपहार देते हैं एवं बहन की रक्षा/ सुरक्षा का वचन देते हैं।
Raksha Bandhan(Rakhi) 2018 Essay in English
a)Raksha Bandhan 2018 Essay in 100 Words
Raksha Bandhan is one of the main festivals in Hindu religion. Although it is celebrated across India, it holds special reference for those belonging to the northern and western parts of the country.The priests in the country announce special time for tying rakhi on the day of Raksha Bandhan. It is time for the ladies to adorn beautiful attires and get ready for the occasion. They are mostly seen wearing ethnic ensembles with matching accessories and footwear. Men are also seen donning traditional Indian attire. The atmosphere is filled with love and joy. The ritual begins with sisters applying tilak on their brothers’ forehead. They then tie rakhi on their brothers’ wrist and exchange sweets. Sisters wish for the well being of their brothers as they carry out the ritual. Brothers give gifts to their sisters and promise to take care of them in every situation. It is not only a special day for brothers and sisters but is also a great occasion to bond with other family members.
b)Raksha Bandhan 2018 essay for class 1 and class 2
1.We celebrate a lots of festivals in India. Raksha Bandhan is one of the biggest festival of Hindus.2.This festival is also known as Rakhi.
3.It celebrates all across the country.
4.We celebrate Raksha Bandhan on Purnamasi or full moon day of Sharawan month of hindu calendar.
5.Raksha' means protection and 'Bandhan' means bound. Thus 'Raksha Bandhan' means the 'Bond of Protection'.
6.On this day, Sisters tie a special band on their brothers' wrist as a mark of affection. This thread is called the 'Rakhi'.
7.Sisters prepare the "pooja thali" with diyas, roli, chawal and rakhis. They worship the goddesses, ties rakhis on the wrists of their brother(s), and wishes for their well being.
8.The brothers in return takes a lifelong vow to protect their sisters. On the day of
9.It celebrates the bond of love and affection between a sister and a brother.
10.Sister tie Rakhi on right hand of her brother and brother promise to protect his sister.
or
'Raksha Bandhan' is a famous festival of Hindus. It is also called the festival of 'Rakhi'. It falls on Purnima or full moon day in the month of Shravan according to Hindu Calendar. It is celebrated across all over India.
'Raksha' means protection and 'Bandhan' means bound. Thus 'Raksha Bandhan' means the 'Bond of Protection'. On this day, Sisters tie a special band on their brothers' wrist as a mark of affection. This thread is called the 'Rakhi'. The brothers in return takes a lifelong vow to protect their sisters. On the day of Raksha Bandhan, brothers and sisters reaffirm their pious bonds of affection.
'Raksha' means protection and 'Bandhan' means bound. Thus 'Raksha Bandhan' means the 'Bond of Protection'. On this day, Sisters tie a special band on their brothers' wrist as a mark of affection. This thread is called the 'Rakhi'. The brothers in return takes a lifelong vow to protect their sisters. On the day of Raksha Bandhan, brothers and sisters reaffirm their pious bonds of affection.
c) Raksha Bandhan(Rakhi) 2018 Essay in 500 words
Introduction
Raksha Bandhan is celebrated in many parts of India as well as its adjoining countries such as Nepal and Pakistan. It is a festival that symbolizes unity and strength and rejoices the power of familial ties. This one day is particularly dedicated to celebrate the brother sister relationship which is one of the most special relationships in the world. The festival is being celebrated since ancient times.
Raksha Bandhan: Historical References
Several folklores have been presented on how this festival came into being and the significance it held for various famous personalities. Here are some of the historical references of the festival:
- Alexander the Great
It is said that when Alexamder invaded India, his wife was extremely anxious about his well-being. She sent a sacred thread to Porus, requesting him not to harm Alexander. Keeping with the tradition, Porus refrained from attacking Alexander during the battle. He respected the Rakhi sent by Roxana. This event dates back 326 BCE.
- Rani Karnavati
The legend of Rani Karnavati and Emperor Humayun also emphasises the significance of this sacred ritual. It is said that Rani Karnavati of Chittor, who was a widowed queen, asked for Emperor Humayun’s help by sending him Rakhi. She did so when she realised that she could not save her kingdom from Bahadur Shah all by herself. Humayun respected the rakhi and sent his troops to fight against all odds and save Chittor.
Choosing the Right Gift for Raksha Bandhan
The market is flooded with a variety of gifts around this time. From clothes to footwear to accessories to home décor items– there is so much variety in each of these that it becomes difficult to pick one among these. The brothers often seem confused on what to gift to their sisters as it is a difficult choice to make. They often roam around the market looking for that perfect gift for their sisters to light a smile on their face. Choosing the right gift is indeed a big task during this festival.
So it is not just the ladies who visit the market and shop endlessly during the time men also invest a good amount of time looking for gifts for their beloved sisters.
Another Festival That Celebrates Brother Sister Bond
Just like Raksha Bandhan, Bhai Duj is another festival that is celebrated to strengthen and rejoice the brother sister bond. The sisters apply tilak on their brothers’ forehead on this day and pray for their well being. The brothers pledge to be by their sisters’ side at all times. They exchange sweets and the brothers present their sisters with gifts. People dress up in ethnic wear to add to the spirit of the festival. It is not just a time to bond with ones brothers and sisters but also with other family members.
Conclusion
Raksha Bandhan holds a special significance for brothers and sisters. It is not just celebrated by the common man but was also celebrated by the Gods and Goddesses to rejoice the pious bond between brothers and sisters.
Raksha Bandhan(Rakhi) 2018 Essay in Punjabi
2)Raksha Bandhan(Rakhi) 2018 Essay in Punjabi for class 7
ਭਾਰਤ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਦਾ ਦੇਸ਼ ਹੈ ਇਥੇ ਹਰ ਸਾਲ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਤਿਉਹਾਰ ਮਨਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਆਪਣਾ -ਆਪਣਾ ਮਹੱਤਵ ਹੈ। ਰੱਖੜੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਭਾਰਤ ਦੇ ਪ੍ਰਸਿੱਧ ਤਿਉਹਾਰਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਇਕ ਹੈ। ਜਿਸਨੂੰ ਰਾਖੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਵੀ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।
ਭੈਣਾਂ ਵੱਲੋਂ ਭਰਾਵਾਂ ਨੂੰ ਰੱਖੜੀ ਬੰਨ੍ਹਣ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਬੜੇ ਹੀ ਚਾਂਵਾਂ ਨਾਲ ਹਰ ਸਾਲ ਸਾਵਣ ਦੇ ਮਹੀਨੇ ਦੀ ਪੂਰਨਮਾਸ਼ੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਰੱਖੜੀ ਤੋਂ ਕਈ ਦਿਨ ਪਹਿਲਾਂ ਬਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਕਈ ਪ੍ਰਕਾਰ ਦੀਆਂ ਸੁੰਦਰ -ਸੁੰਦਰ ਰੱਖੜੀਆਂ ਦਿਖਣੀਆਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋ ਜਾਂਦੀਆਂ ਹਨ।
ਰੱਖੜੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਵੱਖ -ਵੱਖ ਖੇਤਰਾਂ ਵਿਚ ਆਪੋ -ਆਪਣੇ ਰੀਤੀ ਰਿਵਾਜਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਮਨਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ। ਪਰ ਰੱਖੜੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਭੈਣ ਇਕ ਖੱਮਣੀ ਦਾ ਧਾਗਾ ਆਪਣੇ ਭਰਾ ਦੀ ਬਾਂਹ ਉੱਤੇ ਬਣਦੀ ਹੈ ਅਤੇ ਭਰਾ ਉਸਦੇ ਬਦਲੇ ਆਪਣੀ ਭੈਣ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਨ ਦਾ ਬਚਨ ਦਿੰਦਾ ਹੈ। ਪ੍ਰੰਤੂ ਅੱਜ ਦੇ ਸਮੇਂ ਭੈਣ ਵਲੋਂ ਭਰਾ ਨੂੰ ਰੱਖੜੀ ਬੰਨਣ ਦੇ ਬਦਲੇ ਭਰਾ ਭੈਣ ਨੂੰ ਕੀਮਤੀ ਚੀਜ਼ਾਂ ਉਪਹਾਰ ਵਜੋਂ ਦਿੰਦਾ ਹੈ।
ਰੱਖੜੀ ਦੇ ਤਿਉਹਾਰ ਨਾਲ ਕਈ ਕਥਾਵਾਂ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਹਨ ਜਿਵੇਂ ਕੇ ਮਹਾਭਾਰਤ ਕਾਲ ਦੇ ਭਗਵਤ ਪੁਰਾਣ ਅਨੁਸਾਰ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕੇ ਇਕ ਸਮੇਂ ਵਿਚ ਸ਼੍ਰੀ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਭਗਵਾਨ ਜੀ ਦੀ ਬਾਂਹ ਤੇ ਕੋਈ ਸੱਟ ਲੱਗਣ ਦੇ ਕਾਰਨ ਕਾਫ਼ੀ ਖ਼ੂਨ ਵਹਿਣ ਲੱਗਿਆ ਤੇ ਉੱਥੇ ਮੌਜੂਦ ਦ੍ਰੋਪਦੀ ਨੇ ਉਸੀ ਸਮੇਂ ਆਪਣੀ ਸਾੜੀ ਦੇ ਪੱਲੇ ਦਾ ਟੁਕੜਾ ਪਾੜ ਕੇ ਵਗਦੇ ਖੂਨ ਤੇ ਬੰਨਿਆ ਅਤੇ ਕੱਪੜਾ ਬੰਨਣ ਦੇ ਤੁਰੰਤ ਬਾਅਦ ਹੀ ਖ਼ੂਨ ਵਹਿਣਾ ਬੰਦ ਹੋ ਗਿਆ। ਜਿਸ ਦੇ ਬਦਲੇ ਸ਼੍ਰੀ ਕ੍ਰਿਸ਼ਨ ਜੀ ਨੇ ਦ੍ਰੋਪਦੀ ਨੂੰ ਉਸਦੀ ਰੱਖਿਆ ਕਰਨ ਦਾ ਵਚਨ ਦਿੱਤਾ।
ਭਰੀ ਸਭਾ ਵਿਚ ਜਦੋਂ ਦ੍ਰੋਪਦੀ ਨੂੰ ਨਗਨ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਗਈ ਤਾਂ ਉਸ ਸਮੇਂ ਸਾੜ੍ਹੀ ਦੀ ਲੀਰ ਦੇ ਟੁਕੜੇ ਬਦਲੇ ਪਤਾ ਨੀ ਕਿੰਨੀ ਲੰਬੀ ਸਾੜ੍ਹੀ ਕਰਕੇ ਦ੍ਰੋਪਦੀ ਦੀ ਲਾਜ ਬਚਾਈ ਸੀ।
ਇਕ ਹੋਰ ਕਥਾ ਅਨੁਸਾਰ ਦੇਵਰਾਜ ਇੰਦਰ ਜਦੋਂ ਲੰਮਾ ਸਮਾਂ ਦੈਂਤਾਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਕਰਦਾ ਹੋਇਆ ਹਾਰ ਗਿਆ ਤਾਂ ਉਹ ਦੇਵ ਬ੍ਰਹਸਪਤੀ ਕੋਲ ਗਿਆ ਅਤੇ ਰੱਖਿਆ ਕਰਨ ਦੀ ਪ੍ਰਾਰਥਨਾ ਕੀਤੀ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਖੱਮਣੀ ਦੇ ਧਾਗੇ ਨੂੰ ਅਭਿਮੰਤ੍ਰਿਤ ਕਰਕੇ ਇੰਦਰ ਦੀ ਪਤਨੀ ਸਚੀ ਨੂੰ ਦੇ ਕੇ ਇੰਦਰ ਦੇਵ ਦੇ ਬੰਨ੍ਹਣ ਲਈ ਕਿਹਾ। ਉਸ ਵੱਲੋਂ ਇਹ ਖਮਣੀ ਇੰਦਰ ਦੇ ਬੰਨ੍ਹਣ ਮਗਰੋਂ ਇੰਦਰ ਦਵਾਰਾ ਦੈਂਤਾਂ ਨਾਲ ਯੁੱਧ ਕਰਨ ਲਈ ਗਿਆ ਤਾਂ ਇਸ ਰਾਖੀ ਸਦਕਾ ਉਸਦੀ ਰੱਖਿਆ ਹੋਈ ਅਤੇ ਯੁੱਧ ਵਿਚ ਉਸਦੀ ਜਿੱਤ ਹੋਈ। ਇਹ ਧਾਗਾ ਇਕ ਪਤਨੀ ਦਵਾਰਾ ਆਪਣੇ ਪਤੀ ਨੂੰ ਬੰਨਿਆ ਗਿਆ ਕਿੰਤੂ ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਕਿੱਸੇ ਹੋਏ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਵਿਚ ਭੈਣਾਂ ਨੇ ਆਪਣੀ ਭਰਾਵਾਂ ਨੂੰ ਧਾਗਾ ਬੰਨਿਆ ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਤਿਉਹਾਰ ਭੈਣ ਭਰਾ ਦੇ ਆਪਸੀ ਪਿਆਰ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਬਣ ਗਿਆ।
ਜਿਵੇਂ ਕੇ ਇਕ ਹੋਰ ਕਥਾ ਅਨੁਸਾਰ ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੇ ਚਿਤੌੜ ਦੀ ਰਾਣੀ ਕਰਮਵਤੀ ਜੋ ਚਿਤੌੜ ਦੇ ਰਾਜਾ ਦੀ ਵਿਧਵਾ ਸੀ ਰਾਜਾ ਦੀ ਮੌਤ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਕਰਮਵਤੀ ਨੂੰ ਗੁਜਰਾਤ ਦੇ ਬਹਾਦਰ ਸ਼ਾਹ ਤੋਂ ਆਪਣੇ ਰਾਜ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਮੁਸਲਿਮ ਬਾਦਸ਼ਾਹ ਹੁਮਾਯੂੰ ਨੂੰ ਰੱਖੜੀ ਭੇਜੀ ਅਤੇ ਰੱਖਿਆ ਲਈ ਬੇਨਤੀ ਕੀਤੀ ਰੱਖੜੀ ਮਿਲਦੇ ਹੀ ਹੁਮਾਯੂੰ ਨੇ ਉਸਨੂੰ ਆਪਣੀ ਭੈਣ ਦਾ ਦਰਜਾ ਦਿੱਤਾ ਅਤੇ ਰੱਖਿਆ ਕਰਨ ਦਾ ਵੀ ਵਚਨ ਦਿੱਤਾ ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਵੀ ਰੱਖੜੀ ਨਾਲ ਸਬੰਧਿਤ ਕਈ ਹੋਰ ਕਥਾਵਾਂ ਪ੍ਰਚਲਿਤ ਹਨ।
ਰੱਖੜੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਘਰਾਂ ਦੇ ਬਾਹਰ ਲਿੱਪ -ਪੋਚ ਕੇ ਉੱਪਰ ਚਿੜੀਆਂ ਛਾਪ ਕੇ ਅਤੇ ਰਾਮ -ਰਾਮ ਲਿਖ ਕੇ ਅਤੇ ਕਈ ਹੋਰ ਤਰੀਕਿਆਂ ਨਾਲ ਇਸ ਦਿਨ ਪੂਜਾ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਵਿਧੀ ਅਨੁਸਾਰ ਰੱਖੜੀ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਭੈਣਾਂ ਆਪਣੇ ਭਰਾਵਾਂ ਨੂੰ ਰੱਖੜੀ ਬਣਦੀਆਂ ਹਨ ਅਤੇ ਭਰਾ ਬਦਲੇ ਵਿਚ ਆਪਣੀ ਭੈਣ ਨੂੰ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਤੋਹਫ਼ੇ ਦਿੰਦਾ ਹੈ। ਰੱਖੜੀ ਦਾ ਤਿਉਹਾਰ ਭੈਣ -ਭਰਾ ਦੇ ਆਪਸੀ ਪਿਆਰ ਅਤੇ ਮਿਲਵਰਤਨ ਦੇ ਰਿਸ਼ਤੇ ਨੂੰ ਪ੍ਰਗਟ ਕਰਦਾ ਹੈ।
Raksha Bandhan(Rakhi) 2018 Essay in Marathi
1) स्त्री वयाच्या कुठल्याही उंबरठ्यावर पोहचलेली असो रक्षाबंधनाच्या ह्या उत्सवास तीच्या मनास माहेरची आस लागलेली असते. लग्नानंतर तीच्या भूमिकेत बदल झाला असला तरी माहेरची नाती, ऋणानुबंध ती आपल्या हृद्यात कायम जपून ठेवत असते. मुलगी, आई, पत्नी, बहिण, बहिणी अशा भूमिका पार पाडत ती एकाच वेळेस अनेक कर्तव्य पार पाडत असते.
व्यवसाय, रोजगारासाठी घराबाहर पडावे लागत असल्याने सर्व भाऊ एकाच शहरात असणार याची खात्री देता येत नाही. बहिणही लग्न झाल्यावर सासरी जाते. त्यामुळे रक्षाबंधनास प्रत्यक्ष भेट होईलच असे सांगता येत नाही. बहुतेकवेळा भाऊ बहिणीकडे येऊन रक्षाबंधन साजरे करतात. कधीकधी बहीणही माहेरी येते. रक्षाबंधन हा मने जुळवणारा उत्सव आहे. लग्न झाल्यानंतर बहिणीस माहेरी जोडून ठेवणारा दुवा म्हणून हे सण भूमिका पार पाडतात. यानिमित्ताने माहेरच्या माणसांशी तिची भेट होत असते. बहीण- भाऊ शेवटी एकाच मायबापांची लेकरे असतात. लहानपणापासून मोठेहोईपर्यंत सोबत वाढलेले असतात. परिस्थितीनुरूप बहीण-भाऊ एकमेकांपासून दूर असले तरी त्यांनी लहानपणापासूनच्या आठवणी हृद्यातील कप्प्यात जोपासून ठेवलेल्या असतात. हा चिरंतन ठेवास कठीण प्रसंगी त्यांना आधार देत असतो.
बहीण-भाऊ एकमेकांचे प्रेरणास्त्रोतही असतात. आपली बहीण सुखात राहावी अशी प्रत्येक भावाची मनोकामना असते. बहीण लहान असली तर भाऊ वडिलांचीच भूमिका पार पाडत असतो. लहानपरी तिला खेळवण्यापासून तिचा प्रत्यके हट्ट पूर्ण करण्यापर्यंत. दादाची ती लाडकी छकुलीच असते. आपल्या छकुलीने चांगले शिकावे, कर्तुत्वनान व्हावे अशीच दादाची इच्छा असते.
दादाला जसे आपल्या छकुलीचे मन कळत असते तसेच ताईही आपल्या लाडक्या भावाची काळजी घेत असते. मग ते लहान असोत की मोठे. रक्षाबंधन मनाचे बंध कायम जोडून ठेवण्याचे काम करत असतो.
2) या दिवशी ब्रह्मांडात कार्यरत असणार्या यमलहरींच्या गतिमानतेतून निर्माण होणार्या घर्षणात्मक ऊर्जेतून वायुमंडलात प्रक्षेपित होणार्या तेजकणांना पृथ्वीकणांच्या संयोगाने ज्या वेळी जडत्त्व प्राप्त होते, त्या वेळी हे कण भूमीवर आपले आच्छादन तयार करतात. यालाच `रक्षा' असे संबोधले जाते.
बलिराजा हा या रक्षेतून प्रक्षेपित होणार्या रज-तमात्मक लहरींचा आवश्यकतेप्रमाणे आसुरी शक्तींच्या पोषणासाठी उपयोग करून घेतो; म्हणून या दिवशी भूमीला आवाहन करून तिच्या साहाय्याने बलीला बंधन घालण्याचे प्रतीक म्हणून स्त्री-शक्ती कार्यमान पुरुषाला राखी बांधते, म्हणजेच रक्षारूपी कणांना ताब्यात ठेवून वायुमंडलाचे रक्षण करण्यासाठी विनवते. सर्वसमावेशक अशा तांदुळाच्या कणांचा समुच्चय हा राखीचे प्रतीक म्हणून कार्यमान पुरुषाच्या हातात बंधन म्हणून बांधला जातो.
बलिराजा हा या रक्षेतून प्रक्षेपित होणार्या रज-तमात्मक लहरींचा आवश्यकतेप्रमाणे आसुरी शक्तींच्या पोषणासाठी उपयोग करून घेतो; म्हणून या दिवशी भूमीला आवाहन करून तिच्या साहाय्याने बलीला बंधन घालण्याचे प्रतीक म्हणून स्त्री-शक्ती कार्यमान पुरुषाला राखी बांधते, म्हणजेच रक्षारूपी कणांना ताब्यात ठेवून वायुमंडलाचे रक्षण करण्यासाठी विनवते. सर्वसमावेशक अशा तांदुळाच्या कणांचा समुच्चय हा राखीचे प्रतीक म्हणून कार्यमान पुरुषाच्या हातात बंधन म्हणून बांधला जातो.
'श्रवण' नक्षत्रात बांधला जाणारे रक्षासूत्र अमरत्त्व, निर्भरता, स्वाभिमान, कीर्ति, उत्साह तसेच स्फूर्ती प्रदान करणारे आहे. पौराणिक काळात पत्नी पतीच्या सौभाग्यासाठी रक्षासूत्र बांधत असे. मात्र, परंपरेत बदल घडून बहिण-भाऊ यांच्यातील निस्सिम प्रेमाचे प्रतीक म्हणून रक्षाबंधन हा उत्सव मोठ्या उत्सवात साजरा केला जातो.
उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र स्त्री-पुरुषांची जोडी असून श्रावणकुमारचे आई-वडील आहेत. उत्तराषाढ नक्षत्र हे दशरथ राजाचे व्यासपीठ असून पूर्वाभाद्रपदावर श्रावणकुमार आपल्या आई-वडीलांसोबत स्थानबध्द झाले आहेत.
श्रावण महिन्यात सूर्य कर्क राशीत प्रवेश करत असतो. कर्क राशी ही जलचर राशी आहे. दशरथ राजाने श्रावणी पौर्णिमेला आपल्या पापाचे प्रायश्चित घेतले होते. त्याचप्रकारे पृथ्वीवरील लोक श्रावण मासात अधिक कर्मकांड करताना दिसतात. श्रावण मास अध्ययन व अध्यापनासाठी श्रेष्ठ मानला जातो. 28 नक्षत्रांमध्ये श्रावणाने विशेष महत्त्व प्राप्त केले आहे. श्रावण नक्षत्रात ज्यांचा जन्म होतो, ते स्वभावाने पराक्रमी, स्वाभिमानी, सहनशील, स्पष्टवादी व सेवाभावी असतात. तसेच ते चांगली प्रगती साधतात. परंतु शत्रूच्या भीती पोटी चांगले कार्य अर्ध्यातून सोडून देत असतात.
रक्षासूत्र व श्रवण नक्षत्र यांचाही संबंध आहे. मोहरी, केशर, चंदन, अक्षदा, दूर्वा, सूवर्ण आदी कापडात बांधून ते पुरुषांच्या उजव्या व महिलांच्या डाव्या हातावर बांधून रक्षाबंधन पूर्वी केले जात होते. मात्र काळानुरूप परंपरेत परिवर्तन घडून आल्याने रक्षाबंधन भाऊ-बहिणीचा उत्सव झाला आहे. या दिवशी बहिण भावाच्या उजव्या हातावर राखी बांधून भावाच्या रक्षणासाठी प्रार्थना करते मात्र त्यासोबत त्याच्यावर असलेल्या कर्तव्यांची जाणीव ही करून देत असते
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